
नई दिल्ली, 07 मार्च (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चिकित्सा सेवा को सेना का महत्वपूर्ण स्तंभ बताते हुए कहा है कि युद्ध से संबंधित कर्तव्यों के अलावा वह विभिन्न आपदाओं तथा संकट के समय दूसरा सबसे मूल्यवान अंग है जो हमेशा सेवा के लिए तत्पर रहता है। श्री सिंह ने सोमवार को सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा और अमेरिका हिन्द प्रशांत कमान द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित चार दिवसीय हिन्द प्रशांत सैन्य स्वास्थ्य सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।
परिवर्तनशील, अनिश्चित, जटिल और दुविधापूर्ण दुनिया में सैन्य स्वास्थ्य देखभाल विषय पर आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य सैन्य चिकित्सा में सहयोग और साझीदारी को बढ़ाना है। इसमें संचालन, समाघात चिकित्सा देखभाल, नैदानिक चिकित्सा, फील्ड सर्जरी और फील्ड एनेस्थीसिया आदि कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जायेगी। रक्षा मंत्री ने कोविड-19 से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा और प्रशांत की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि मौजूदा बुनियादी सुविधाओं पर दबाव और संसाधनों में असमानता जैसी कमियों के बावजूद पिछले दो वर्षों में चिकित्सकों , समाज के स्वयंसेवक समूहों और सरकारों के बीच सबसे अच्छा तालमेल रहा और सबने महामारी के दौरान जरूरतमंद लोगों की ओर मदद का हाथ बढ़ाया।
श्री सिंह ने कहा कि पिछले दो वर्षों में आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं को दूर करने, दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने, चिकित्सा आपूर्ति, टीके और सफल उपचार की जानकारी सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को विकसित किया गया है। सशस्त्र बलों ने आपदा के समय जरूरतमंद लोगों तक पहुंचने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। अग्रिम मोर्चे के कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल बनाया और कार्यान्वित किया गया। गांवों में सामुदायिक रहन-सहन और अपने से पहले दूसरों की सहायता के पारंपरिक गुणों के कारण यह सब संभव हो पाया। उन्होंने कहा कि इस सामूहिक अनुभव ने भविष्य में इसी तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुमूल्य सीख के महत्व को प्रकट किया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हिंद-प्रशांत का विचार ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) के भाव को दर्शाता है। उन्होंने वर्ष 2018 में सिंगापुर में शंगरी ला संवाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था, “हिंद-प्रशांत एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी क्षेत्र का प्रतीक है, जिसमें प्रगति और समृद्धि के साझा प्रयास समाहित हैं।” रक्षा मंत्री ने कहा कि इस भाव का सबसे अच्छा उदाहरण चिकित्सा पेशा है जिसे दुनिया भर में विशिष्ट माना जाता है।
रक्षा मंत्री ने सैन्य चिकित्सा के महत्व और स्वास्थ्य संबंधी मामलों में देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने मौजूदा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा अनुसंधान एवं चिकित्सा प्रशिक्षण में निरंतर सुधार का आह्वान किया और कहा कि सम्मेलन के दौरान इन पर विचार-विमर्श सभी के लिए उपयोगी होगा। दुनिया भर में सशस्त्र बलों में महिलाओं द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर श्री सिंह ने कहा कि सरकार महिलाओं को उनके पुरुष समकक्षों के समान जिम्मेदारियां प्रदान करने में विश्वास रखती है। सम्मेलन में 38 से अधिक देशों के 600 से ज्यादा भारतीय और विदेशी प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। ये सभी चार दिनों में 110 विषयों पर परस्पर संवाद करेंगे और अनुभव साझा करेंगे।