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आत्मनिर्भर भारत की नई रणनीति

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

हाल ही में 13 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) की बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीक के इस्तेमाल और रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के काम को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं। वस्तुतः इस समय वैश्विक चुनौतियों के चलते अर्थव्यवस्था पर बाहरी दबावों का जोखिम घटाने के लिए रक्षा क्षेत्र के साथ-साथ मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन, प्रौद्योगिकी विकास और कृषि उत्पादन सहित विविध क्षेत्रों में प्रोत्साहनों के आधार पर आत्मनिर्भरता के लिए तेजी से आगे बढ़ने की रणनीति सुनिश्चित की गई है। निश्चित रूप से रूस और यूक्रेन संकट के मद्देनजर भारत के लिए यह सबक भी उभरकर दिखाई दे रहा है कि चीन और पाकिस्तान से लगातार मिल रही रक्षा चुनौतियों के बीच भारत को दुनिया में एक सामरिक शक्तिशाली देश के रूप में अपनी पहचान बनाना होगी। गौरतलब है कि 10 मार्च को अमेरिका की हिंद-प्रशांत सुरक्षा पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सांसदों ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच तनाव चार दशकों में सबसे खराब स्तर पर है।

सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता बढ़ती जा रही है। ऐसे में भारत की मजबूत रक्षा तैयारी जरूरी है। यद्यपि प्रति रक्षा में आत्मनिर्भरता की दृष्टि से भारत की मौजूदा स्थिति निश्चित रूप से चुनौतीपूर्ण है, लेकिन भारत के पास रक्षा क्षेत्र में आगे बढ़ने के पर्याप्त संसाधन हैं और रक्षा क्षेत्र में भारत और भारतीयों की क्षमता का दुनियाभर में लोहा माना जाता है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए हमें कितना आगे बढ़ना होगा, इसकी कल्पना स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के द्वारा 14 मार्च को प्रकाशित रिपोर्ट से की जा सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत और सऊदी अरब हथियार खरीदने में दुनिया में टॉप पर हैं। वैश्विक हथियारों का 11 फीसदी भारत खरीदता है। यद्यपि हमारे आयुध कारखाने विशालकाय हैं, लेकिन रक्षा उत्पादन में हिस्सेदारी महज करीब 10 फीसदी पर टिकी है। स्थिति यह है कि इस समय बहुत बड़ी मात्रा में फौजियों की वर्दियों के लिए भी विदेश पर निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन यह भी महत्त्वपूर्ण है कि भारत से रक्षा निर्यात भी लगातार बढ़ रहे हैं। भारत हथियार निर्यात के मामले में दुनिया में 24वें क्रम पर है। वर्ष 2019-20 में भारत का रक्षा निर्यात नौ हजार करोड़ रुपए था। इसे 2024-25 तक बढ़ाकर 35 हजार करोड़ रुपए करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में रक्षा संबंधी आत्मनिर्भरता के मद्देनजर यह सुकूनदेह है कि भारत का रक्षा बजट लगातार बढ़ रहा है।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को देश का वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश किया है, उसमें रक्षा क्षेत्र के लिए 5.25 लाख करोड़ रुपए का आबंटन किया है। यह बजट पिछले वर्ष के मुकाबले 47 हजार करोड़ रुपए अधिक है। चूंकि भारत के रक्षा तकनीकी विशेषज्ञों ने कई तरह के रक्षा कौशल हासिल कर लिए हैं, अतएव भारत दृढ़ संकल्प से लडाकू विमानों सहित विभिन्न रक्षा क्षेत्र की जरूरतों की आत्मनिर्भरता के लिए तेजी से आगे बढ़ सकता है। भारत के लिए मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए तेजी से कदम बढ़ाने जरूरी हैं। गौरतलब है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए कहा गया कि सरकार के द्वारा सेज के वर्तमान स्वरूप को परिवर्तित किया जाएगा। सेज में उपलब्ध संसाधनों का पूरा उपयोग करते हुए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए विनिर्माण किया जा सकेगा। जहां पीएलआई योजना की सफलता से चीन से आयात किए जाने वाले कई प्रकार के कच्चे माल के विकल्प तैयार हो सकेंगे, वहीं औद्योगिक उत्पादों का निर्यात भी बढ़ सकेगा। देश में अभी भी दवाई उद्योग, मोबाइल उद्योग, चिकित्सा उपकरण उद्योग, वाहन उद्योग तथा इलेक्ट्रिक जैसे कई उद्योग बहुत कुछ चीन से आयातित माल पर आधारित हैं। सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत नवंबर 2020 से 13 औद्योगिक सेक्टरों के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (पीएलआई) स्कीम को करीब दो लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहनों के साथ कार्यान्वयन को तेजी से आगे बढ़ाया है। पीएलआई योजना के तहत दिए गए विभिन्न प्रोत्साहनों से देश के उत्पादक चीन से आयातित कुछ कच्चे माल को स्थानीय उत्पादों के आधार पर तैयार करने की डगर पर आगे बढ़े हैं। वर्ष 2022-23 के बजट में भी पीएलआई योजना के लिए प्रोत्साहन सुनिश्चित किए हैं।

इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की संभावनाओं को साकार करने के मद्देनजर प्रमुखतया 10 सेक्टरों को तेजी से आगे बढ़ाना होगा। इनमें इलेक्ट्रिकल, फार्मा, मेडिकल उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स, हैवी इंजीनियरिंग, सोलर उपकरण, लैदर प्रोडक्ट, फूड प्रोसेसिंग, केमिकल और टैक्सटाइल शामिल हैं। निःसंदेह देश में विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) की नई भूमिका, मेक इन इंडिया अभियान की सफलता और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के उपयुक्त क्रियान्वयन से अधिक विनिर्माण के साथ-साथ निर्यात के बढ़ते हुए मौकों को मुठ्ठियों में लिया जा सकेगा और देश आत्मनिर्भरता की डगर पर तेजी से आगे बढ़ सकेगा। निश्चित रूप से रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन और उसका निर्यात देश की नई आर्थिक शक्ति बन सकता है। इससे खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सभी प्रमुख फसलों के एमएसपी में उत्साहजनक वृद्धि, पीएम किसान के मार्फत जनवरी 2022 तक 11.30 करोड़ से अधिक किसानों को 1.82 लाख करोड़ रुपयों की सराहनीय आर्थिक मदद, कृषि क्षेत्र में शोध एवं नवाचार को बढ़ावा और विभिन्न कृषि विकास की योजनाओं से कृषि क्षेत्र में उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। देश के पास खाद्यान्न का सुरक्षित भंडार होगा और दुनिया के कई देशों को कृषि निर्यात बढ़ाए जा सकेंगे।

देश में कृषि क्षेत्र के तहत दलहन और तिलहन उत्पादन के साथ-साथ खाद्य तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को उच्च प्राथमिकता दी जानी होगी। अब भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए भी तेजी से आगे बढ़ना होगा। चूंकि भारत अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का 80 से 85 फीसदी आयात करता है, अतएव एक ओर देश में कच्चे तेल के उत्पादन को बढ़ाना होगा, वहीं दूसरी ओर कच्चे तेल के विकल्प बढ़ाने होंगे। ज्ञातव्य है कि देश के पास करीब 300 अरब बैरल का विशाल तेल भंडार है, लेकिन हम उसका पर्याप्त विदोहन नहीं कर पा रहे हैं। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की वर्तमान कीमतों की तुलना में चार-पांच गुना कम लागत पर कच्चे तेल का विदोहन किया जा सकता है। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से उपयोग करने की रणनीति पर आगे बढ़ना होगा। ई-वाहनों को भविष्य का बेहतर विकल्प बनाना होगा। नए स्टार्टअप्स को भी आत्मनिर्भर भारत की अहम कड़ी बनाना होगा। हम उम्मीद करें कि रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर चीन और पाकिस्तान से मौजूदा भू-राजनीतिक व सैन्य चुनौतियों के बीच अब आत्मनिर्भर भारत केवल आकर्षक नारा ही नहीं रहेगा, वरन यह धरातल पर भी दिखाई देगा। हम उम्मीद करें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कुशल नेतृत्व और दृढ़ संकल्पों से जहां देश को सामरिक और आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरसंभव रणनीतिक प्रयास करने के लिए तेजी से आगे बढ़ेंगे, वहीं देश के हर व्यक्ति के द्वारा भी आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए अपने भगीरथ प्रयासों का हरसंभव योगदान दिया जाएगा।

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