EducationPolitics

हम भी वही कर रहे है, जो मुगलिया शासकों ने किया था!

-ओमप्रकाश मेहता-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

एक बहुत पुरानी कहावत है- ‘‘इतिहास स्वयं को दोहराता है’’ ….आज उसी पुरानी कहावत के भारत में साक्षात दर्शन हो रहे है, आज से कुछ शताब्दियों पूर्व तत्कालीन शासकों ने जिस धर्म आधारित राजनीति के तहत हमारे देश के आराधना स्थलों को खण्डहरों में परिवर्तित कर उनकी जगह अपनी धर्म पताकाएँ फहराई, आज हम भी उसी इतिहास को दोहराने की ओर अग्रसर है और गैर हिन्दू आराधना स्थलों पर अपने मंदिरों के प्राचीन अवशेष खोज रहे है, उस समय के तत्कालीन शासकों ने भी मजहब से प्रभावित हो कर अनैतिक कार्य किया था और आज हम भी धार्मिक भावनाओं से ग्रसित होकर वही करने जा रहे है, आखिर इससे हमें हासिल क्या होना है? क्या आज हमारे देश में आराधना स्थलों की कमी है, जो हम नए पुरातन आराधना स्थलों की खोज कर रहे है? या हमारे इस कृत्य के पीछे हमारी भावनाएँ व हमारे प्रयास कुछ और है? आज हर भारतीय के लिए यह आत्मचिंतन का विषय होना चाहिए।
यह कृत्य यहीं तक सीमित होता तो फिर भी ठीक था, किंतु हम तो इस कृत्य के माध्यम से नए शोध के नाम पर हमारे पुरातन इतिहास को बदलने का प्रयास कर रहे है, जिसका ताजा उदाहरण यह सिद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है कि विश्व के सात अजूबों में से एक हमारे देश की धरोहर ताज महल मुस्लिम शासक शाहजहां ने अपनी बैगम मुमताज की स्मृति में नहीं बनवाया था, बल्कि वहां किसी परारदी देव ने तेजो महालय (शंकर मंदिर) स्थापित किया था, जिसे तोड़कर वहां थोड़ा-बहुत परिवर्तन कर आज के ताज महल को बनवाया गया, इसके प्रमाण में कई दलीलें भी दी जा रही है, जिनमें से एक दलील यह है कि मुगल शासक अपने किसी भी निर्माण कार्य के नामकरण के साथ ‘महल’ के नाम पर नहीं करते थे, अब यह भी दावा किया जा रहा है कि ताज महल के नीचे 22 कमरे है, जिन्हें 1934 के बाद से आज तक खोला नहीं गया है, इन कमरों में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, भित्तीचित्र और शिला लेख विद्यमान है, अब न्यायपालिका में गुहार लगाकर इन रहस्यमयी कमरों को खुलवाकर जांच कराने की याचना की जा रही है। फिलहाल ताज महल यूपी सुन्नी वक्फ कमेटी के नियंत्रण में है।
ठीक यही विवाद एक और विश्व धरोहर दिल्ली स्थित कुतुब मीनार को लेकर है, इतिहासकारों के अनुसार इस मीनार का निर्माण 1192 में तत्कालीन मुस्लिम शासक कुतुबद्धिन ऐबक ने करवाया था, उसने अपने ही नाम पर इसका नामकरण भी किया था। अब देश के हिन्दू संगठन दावा कर रहे है कि इसी मीनार में हिन्दू देवी देवताओं के सत्ताईस मंदिर है, संगठनों ने पिछले दिनों धरना प्रदर्शन के माध्यम से न सिर्फ इन मंदिरों की पूजा का अधिकार देने की मांग की बल्कि कुतुबमीनार का नाम बदलकर ‘विष्णु स्तंभ’ करने की भी मांग की, यह मीनार भी दुनिया की अमूल्य धरोहरों में से एक है और यदि इसका नाम बदला गया तो इसका ‘विश्व धरोहर’ का दर्जा भी छीन जाएगा, किंतु धर्मान्धियों को इस बात की कोई चिंता नहीं है इसी के चलते विश्व प्रसिद्ध भारत की इन दोनों धरोहरों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
यह तो हुई हमारी विश्व प्रसिद्ध धरोहरों के अस्तित्व की बात। अब यदि हम हमारे तीर्थस्थलों की बात करें तो वहां भी नए-नए दावे कर इन तीर्थस्थलों की साम्प्रदायिकता के दायरे में लाने का प्रयास किया जा रहा है, अयोध्या का बाबरी मस्जिद काण्ड तो किसी से छिपा नहीं है, अब इसी काण्ड को हमारे प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थ काशी (वाराणसी) और मथुरा में दोहराने के प्रयास किए जा रहे है, कहा जा रहा है कि वाराणसी में बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर के निकट स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर की ही जमीन पर बनाई गई है, न्यायालय के आदेश पर जब जांच दल वहां पहुंचा तो मस्जिद के प्रबंधकों ने उन्हें सर्वेक्षण करने से रोक दिया, अब न्यायालय पुनः सर्वेक्षण की तारीख तय कर निर्देश देने वाला हैं। यही विवाद अब राम जन्मभूमि (अयोध्या) के बाद कृष्ण जन्मभूमि (मथुरा) में भी शुरू हो रहा है, वहां भी कृष्ण जन्मभूमि स्थित मंदिर के पास स्थित मस्जिद के बारे में कहा जा रहा है कि कृष्ण मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर वहां मस्जिद बनाई गई है, वहां भी हिन्दू संगठन आंदोलनरत है। हमारे देश की राजधानी में कुतुब मीनार काण्ड के साथ ही वहां की सड़कों, मोहल्लों के नाम बदलने का भी अभियान जारी है, जिस सड़क-मोहल्लें का स्थान किसी मुस्लिम हस्ती के नाम पर है, उन सभी को बदलने का अभियान जारी है।
सबसे अधिक दुर्गति इसी संदर्भ में हमारी न्यायपालिका की है, वैसे ही हमारे देश की अदालतों में वर्षों से पैंसठ हजार से अधिक मामले लम्बित है, उनके फैसलें हो नहीं पा रहे है और अब देश के न्यायालयों में सैकड़ों मामले अब तक इन मंदिरों मस्जिदों के पहुंच चुके है, जिन पर सुनवाई-जिरह आदि भी शुरू हो चुकी है।
इस प्रकार कुल मिलाकर पूरे देश में पिछले कुछ अर्से से जो साम्प्रदायिक माहौल बनाने का कतिपय संगठनों द्वारा प्रयास किया जा रहा है, उससे देश का आम आदमी चिंतित है और धीरे-धीरे यह माहौल जो डरावना रूप धारण कर रहा है, इससे और अधिक भय व्याप्त हो रहा है और सरकार है जो इस ओर से पूरी तरह आँखें मूंदे हुए है, आखिर इसका अंजाम क्या होगा?

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker