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कश्मीरी पंडित खौफजदा

-सिद्धार्थ शंकर-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

दक्षिण कश्मीर में एक बार फिर टारगेट किलिंग का मामला सामने आया है। शोपियां में मंगलवार को आतंकियों ने दो भाइयों पर फायरिंग कर दी। इसमें एक की मौत हो गई, जबकि दूसरा घायल है। छोटेपोरा इलाके में दोनों भाई सेब के बागान में काम कर रहे थे। इस दौरान वहां कुछ आतंकी आए और फायरिंग शुरू कर दी। गोली लगने से एक भाई की मौत हो गई। उसकी पहचान सुनील कुमार भट्ट के रूप में हुई है। वह चार बेटियों के पिता थे। वहीं, उनका भाई पीतांबर नाथ पंडित उर्फ पिंटू कुमार गंभीर रूप से घायल है, उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक टारगेटेड किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई योजना है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है। 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेटेड किलिंग कि घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खास तौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी सॉफ्ट टागरेट बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।

कश्मीर में हर महीने टारगेट किलिंग के पीछे आतंकवादियों पर बढ़ता मानसिक दवाब है। अगर हम मौजूदा आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो इस समय कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकियों की संख्या 150 से भी कम होकर रह गई है। हालांकि जम्मू-कश्मीर पुलिस इस वर्ष के अंत तक सक्रिय आतंकियों की संख्या 100 से भी नीचे लाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। यही वजह है कि सक्रिय आतंकी टारगेट किलिंग को अंजाम देकर अपने गिरते मनोबल को ऊंचा करने के साथ-साथ कश्मीरी युवाओं को आतंकी संगठनों में शामिल करने की फिराक में हैं। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद धीरे-धीरे प्रदेश प्रगति के पथ की ओर बढ़ रही है। अगर हम इस समय कश्मीर की बात करें तो इस बार पर्यटकों की संख्या पहले कुछ वर्षों के मुकाबले चार गुना बढ़ गई है। कश्मीर में अब हर होटल पूरी तरह से बुक हो रहे हैं। पर्यटन क्षेत्र से जुड़े कारोबारियों के चेहरे खिले हैं। देश-विदेश से लाखों की तादाद में पर्यटक कश्मीर घूमने आ रहे हैं। यहीं बात सीमा पार बैठे आकाओं को रास नहीं आ रही है। चूंकि कश्मीर में इस समय सक्रिय आतंकियों की संख्या 150 से भी कम होकर रह गई है और कश्मीर के युवा इस बात को अच्छी तरह से समझ चुके हैं कि आतंकवाद के रास्ते पर चलकर उन्हें तबाही से ज्यादा कुछ नहीं मिलेगा। आतंकी संगठनों में नई भर्ती भी अब नाममात्र होकर रह गई है।

इसी वजह से बचेखुचे आतंकी अब टारगेट किलिंग को सहारा बनाकर लोगों में खौफ बनाने में जुटे हैं। टारगेट किलिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत आतंकी किसी एक व्यक्ति की पूर्ण गतिविधियों पर ध्यान रखकर उसके बारे में पूरी जानकारियां एकत्रित्त करते हैं और अंत में उसे मार देता है। इसमें आम जनता, मजदूर, पुलिस अधिकारी, स्कूल टीचर्स व कश्मीरी पंडित आदि की हत्या में शामिल हैं। टारगेट किलिंग का जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा एक बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि इस ऑपरेशन के पीछे आतंकवादी समूहों का हाथ है। राज्य पुलिस के अनुसार भारतीय सुरक्षा सेना बल की कड़ी निगरानी के कारण कई आतंकी जो सीमा पार से जम्मू कश्मीर में घुसने का प्रयास कर रहे हैं वो अपने प्रयासों में असफल सिद्ध हो रहे हैं जिसके कारण वे बौखला गए हैं और अपनी राह से भटके हुए स्थानीय युवकों को अपना हथियार बना रहे हैं। कहा जा राहा है कि ये आतंकी उन युवकों को बिना प्रशिक्षण के पिस्तौल मुहैया करवा देते है फिर उन्हें एक टारगेट और उसका पता दे देते हैं। जिसे उन युवकों को पूरा करना होता है।

महत्वपूर्ण बात यह है की सभी टारगेट भीड़ वाले स्थानों पर दिए जाते हैं जिसकी वजह से कश्मीर की आम जनता में दहशत का माहौल बना हुआ है। अनुच्छेद 370 के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार मिले हुए थे जिसमें जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा और अलग संविधान था। रक्षा, विदेश और संचार के विषय छोड़कर सभी कानून बनाने के लिए राज्य की अनुमति जरुरी थी। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती थी। दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे। अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता था, लेकिन ये संविधान के ही उन मूल अधिकारों पर भी चोट करता था, जिसे संविधान निर्माता बाबा साहेब अम्बेडकर ने संविधान की आत्मा कहा था। 72 सालों तक जम्मू-कश्मीर और देश के बीच अनुच्छेद 370 की जो फांस थी, उसे अब इतिहास बना दिया गया और एक नए कश्मीर की कहानी जरूर लिख दी गई लेकिन अभी तक जम्मू-कश्मीर में बदलाव नजर नहीं आ रहा है।

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