
-सनत जैन-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
तमिलनाडु सरकार ने बुधवार को सीबीआई के तमिलनाडु प्रवेश पर रोक लगा दी है। तमिलनाडु 10 वां राज्य है। जिसने सीबीआई के प्रवेश पर रोक लगाई है। इसके पहले पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, केरल, मिजोरम, पंजाब,तेलंगाना, छत्तीसगढ़, राज्य ने सीबीआई को दी गई सहमति वापस लेकर, सीबीआई के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। विपक्षी दलों पर पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह से सीबीआई और ईडी द्वारा आरोपों के आधार पर अपराधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं। उन्हें पर्याप्त सबूतों के अभाव में गिरफ्तार किया जा रहा है। उसके खिलाफ सभी विपक्षी दल एकजुट होने लगे हैं। राज्य सरकारों द्वारा सीबीआई को दी गई सहमति वापस लेकर, सीबीआई के प्रवेश पर रोक लगा रहे हैं।
राज्यों की इस कार्यवाही को देखते हुए केंद्र सरकार ने ईडी को ज्यादा पावरफुल बना दिया है। केंद्र सरकार के इशारे पर आरोपों पर जांच करने का काम ईडी करने लगी है। पहले भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच सीबीआई करती थी। हवाला कारोबार, धन शोधन के मामलों की जांच के लिए ईडी की स्थापना हुई थी। ईड़ी के कार्यक्षेत्र में यदि कोई राशि अवैध रूप से यहां से वहां भेजी गई है।उसकी जांच करने की जिम्मेदारी ईडी की है। धन शोधन के मामले में उसे बेइंतहा अधिकार दिए गए हैं।पिछले कुछ वर्षों में ईडी आरोपों के आधार पर जांच शुरु कर देती है। उसके बाद सबूत एकत्रित करने का काम करती है।कई मामलों में यह साबित हो चुका है,कि ईडी के पास कोई जानकारी नहीं थी। ईडी ने नोटिस जारी करके बयानों के आधार पर अथवा गिरफ्तारी करने के बाद ईडी सबूत बनाने अथवा सबूत जुटाने का प्रयास करती है। कई महीनों तक राजनेताओं को जेलों में बंद रखा जाता है।
अदालत के हस्तक्षेप के बाद शिवसेना के सांसद संजय राऊत को तो जमानत मिल गई। लेकिन कई विपक्षी दलों के नेता अभी भी कई महीनों से भारतीय जेलों में बंद हैं।कई महीनों तक ईडी सबूत नहीं जुटा पाती है। न्यायालय में चार्जशीट लंबे समय तक पेश नहीं कर पाती है। विपक्षी दलों के नेताओं की जमानत भी नहीं होने देती है। इसको लेकर अब सभी विपक्षी दल एकजुट होने की स्थिति में पहुंच गए हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, विपक्षी एकता की जो तैयारी हो रही थी।उसमें ईडी और सीबीआई की कार्रवाई ने विपक्षी एकता को मजबूत बनाने की दिशा में,आग में घी डालने का काम किया है। तमिलनाडु सरकार के मंत्री को जिस तरह गिरफ्तार किया गया। उसने महिला पहलवानों की गिरफ्तारी की याद को ताजा कर दिया। तमिलनाडु के मंत्रालय में दूसरी बार छापा डाला गया।ऐसा ही छापा दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के कार्यालय में भी डाला गया था। ईडी और सीबीआई की आतंकी कार्रवाई से गैर भाजपाई दल एकजुट हो रहे हैं। चंबल में, पकड़ करके, डाकू फिरौती लेने ओर अपनी बात मनवाने के लिए करते थे। वही कार्यवाही अब ईडी और सीबीआई के माध्यम से विपक्षी दलों के नेताओं की पकड़ करके, जेल भेजने की जो कार्रवाई हो रही है। अब इसके विरोध में सारे विपक्षी दलएकजुट होकर विरोध में खड़े हो गए हैं। विपक्षी दलों में छापों की बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। माना जा रहा है, बिहार सरकार भी सीबीआई को दी गई अनुमति वापिस ले सकती है। यदि ऐसा हुआ तो बिहार 11वां राज्य होगा। अति सर्वत्र वर्जिते की तर्ज पर विपक्षी दलों ने यह मान लिया है, कि केंद्र सरकार की इस कार्रवाई से बच पाना किसी के लिए संभव नहीं है। इसलिए पहली बार विपक्षी दल इकट्ठा होकर लोकतांत्रिक, संघीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एकजुट हो गये हैं।जिसके कारण राजनीतिक हलचलें बढ़ गई हैं। विपक्षी दल अब इस मामले में न्यायिक व्यवस्था के साथ-साथ राजनीतिक स्तर पर भी मुकाबला करने की तैयारी में जुट गए हैं।