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भारत होगा आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

इन दिनों राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक विचार मंथन में कहा जा रहा है कि भारत की नई लॉजिस्टिक नीति और गति शक्ति योजना का आगाज अभूतपूर्व रणनीतियों के साथ हुआ है। यदि इन दोनों योजनाओं को अपेक्षित रूप से अंजाम दिया गया तो भारत जहां दुनिया में प्रमुख आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश बन सकेगा, वहीं 21वीं सदी में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में अपना परचम फहराते हुए आगे बढ़ेगी। इन दोनों योजनाओं की बुनियाद पर देश से निर्यात और निवेश तेजी से बढ़ेगें, उद्योग-कारोबार और कृषि क्षेत्र की तस्वीर संवारी जा सकेगी, महंगाई में कमी और रोजगार में वृद्धि के साथ विकास के नए अध्याय लिखे जा सकेंगे। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा विगत 17 सितंबर को लांच की गई और 21 सितंबर को कैबिनेट से मंजूर की गई बहुप्रतीक्षित नई लॉजिस्टिक पॉलिसी 2022 देश की ऊंची लॉजिस्टिक लागत को कम करने में मील का पत्थर साबित हो सकती है। इस नई नीति को लांच करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे माल परिवहन की लागत घटेगी और सभी प्रकार के उद्योग-कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।

नई नीति ऊंचे लॉजिस्टिक अंतर को पाटने और भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रतिस्पर्धी बनाने में अहम भूमिका निभाएगी। साथ ही मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया को मजबूती प्रदान करेगी। इससे वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी और भारत दुनिया का नया मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा। इसमें कोई दो मत नहीं है कि नई लॉजिस्टिक नीति कोई एक वर्ष पहले 13 अक्तूबर 2021 को शुरू हुई देश की महत्वाकांक्षी गति शक्ति योजना की ही अनुपूरक है। इसे नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर मास्टर प्लान नाम भी दिया गया है। गति शक्ति योजना करीब 100 लाख करोड़ रुपए की महत्त्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका लक्ष्य देश में एकीकृत रूप से बुनियादी ढांचे का विकास करना है। वस्तुत: देश में सडक़, रेल, जलमार्ग आदि का जो इंफ्रास्ट्रक्चर है, वह अलग-अलग 16 मंत्रालयों और विभागों के अधीन है। उनके बीच में सहकार व समन्वय बढ़ाना गति शक्ति योजना का मुख्य फोकस है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि विभागीय बाधाओं को हटाने और विभिन्न 16 विभागों में समन्वय के लिए गति शक्ति योजना और बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं के समन्वित कार्यान्वयन के लिए योजना की घोषणा के बाद महज एक साल में डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार कर लिया गया है। साथ ही रेलवे, सडक़, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, सार्वजनिक परिवहन और लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के रूप में चिन्हित किए गए सात इंजनों के तहत भारतमाला (राजमार्ग), सागरमाला (तटीय नौवहन), उड़ान (वायु सेवाओं), भारत नेट (दूरसंचार सेवाओं), रेलवे विस्तार और अंतर्देशीय जलमार्ग विस्तार जैसी महत्त्वपूर्ण योजनाओं को समन्वित रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है।

यकीनन इस समय जब कुल वैश्विक व्यापार में भारत का हिस्सा दो फीसदी से कम है, देश में माल परिवहन की लागत बहुत ऊंची 13-14 फीसदी है, विश्व बैंक के मुताबिक भारत लॉजिस्टिक खर्च के मामले में दुनिया में बहुत पीछे 44वें स्थान पर है, ऐसे में भारत ने इंजीनियरिंग, डिजिटलीकरण और बहु-साधन परिवहन जैसे क्षेत्रों पर फोकस नई लॉजिस्टिक नीति से माल ढुलाई क्षमता में सुधार की ओर कदम बढ़ा दिए है। अब नई नीति के तहत लॉजिस्टिक्स से जुड़े सभी मसलों के लिए सिंगल रेफरेंस पॉइंट बनाया जाएगा। देश में सतत एकीकृत और डिजिटल लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। साथ ही लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में ड्रोन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होगा। नई लॉजिस्टिक नीति का लक्ष्य है कि अगले 10 सालों में लॉजिस्टिक्स सेक्टर की लागत को 10 प्रतिशत तक लाया जाए। चूंकि वर्तमान में लॉजिस्टिक्स का ज्यादातर काम सडक़ों के जरिए होता है, अतएव अब नई नीति के तहत रेल ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ शिपिंग और एयर ट्रांसपोर्ट पर जोर दिया जाएगा। लगभग 50 प्रतिशत कार्गो को रेलवे के ज़रिए भेजा जाएगा।

इससे सडक़ों पर ट्रैफिक को कम किया जा सकेगा, कच्चे तेल के आयात में कमी आएगी और लॉजिस्टिक्स के खर्च में कमी की जा सकेगी। साथ ही माल परिवहन में लगने वाला समय भी कम होगा। देश की अर्थव्यवस्था को इन सबके आर्थिक फायदे प्राप्त होंगे। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि नई लॉजिस्टिक नीति 2022 और गति शक्ति योजना एक ऐसे समय लागू हुई है जब विकसित देशों में मंदी है और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी संभावना है। ऐसे में निश्चित रूप से नई लॉजिस्टिक नीति और गति शक्ति योजना के उपयुक्त क्रियान्वयन से घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में भारतीय सामानों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार आएगा और लागत के कम होने से जहां सामान की कीमतें कम होंगी, वहीं भारत नया निर्यात प्रतिस्पर्धी देश बनकर आगे बढ़ते हुए दिखाई देगा। साथ ही भारत निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था की डगर पर आगे बढ़ सकेगा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक नई लॉजिस्टिक नीति से जहां कृषि पदार्थों की कीमतों में भी कमी आएगी, वहीं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र लाभान्वित होगा और कृषि निर्यात बढेंगे।

इतना ही नहीं, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में भारी बढ़ोतरी हो सकेगी। नि:संदेह नई लॉजिस्टिक पॉलिसी और गति शक्ति योजना के सहारे भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकेगा। उल्लेखनीय है कि नई लॉजिस्टिक्स नीति और गति शक्ति योजना से जहां 215 अरब डॉलर आकार वाला वर्तमान भारतीय लॉजिस्टिक मार्केट तेजी से बढ़ेगा, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था भी तेजी से बढ़ेगी। इस समय भारत दुनिया की सबसे तेज विकास दर के साथ विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अब नई लॉजिस्टिक नीति के सहारे देश और बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की डगर पर आगे बढ़ सकेगा। इस सेक्टर में इस समय देश के करीब 2.2 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ है। अब नई लॉजिस्टिक नीति और गति शक्ति योजना के कारगर क्रियान्वयन से रोजगार मौके भी तेजी से बढ़ेंगे। हम उम्मीद करें कि नई लॉजिस्टिक नीति और गतिशक्ति योजना के उपयुक्त क्रियान्वयन से भारत 2030 तक कम लॉजिस्टिक खर्च और मजबूत बुनियादी ढांचे वाले दुनिया के टॉप-25 देशों की सूची में अपना स्थान बना पाएगा। इससे देश में उद्योग और कारोबार, निर्यात और निवेश तथा रोजगार के मौके बढऩे से देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी और आम आदमी की मुठ्ठियों में भी अधिक विकास की खुशियां पहुंचते हुए दिखाई देंगी। इसके साथ-साथ हम उम्मीद करें कि नई लॉजिस्टिक नीति और गति शक्ति योजना के उपयुक्त क्रियान्वयन से भारत भारतीय उपमहाद्वीप के सभी पड़ोसी देशों के साथ अधिक और उत्साहजनक द्विपक्षीय कारोबार का मौका भी अपनी मुठ्ठियों में ले सकेगा और इससे भारतीय उपमहाद्वीप के पड़ोसी देशों के करोड़ों लोगों की खुशियां भी बढ़ाई जा सकंेगी।

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