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मोदी सरकार में पूर्वोत्तर का तेजी से होता विकास और खत्म होता उग्रवाद

-डॉ. मयंक चतुर्वेदी-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

पूर्वोत्तर भारत और यहां के समस्त राज्यों को लेकर एक बात बिना किसी हिचक के हमें स्वीकारनी होगी कि देश के इस हिस्से के प्रति शेष देश में सहज अपनत्व की भावना में प्राय: कमी ही देखी जाती रही है। संभवत: यही वह कारण भी होगा जिसके चलते दुर्भाग्यवश स्वाधीन भारत की लम्बे समय तक केंद्र में रहीं कांग्रेसी सरकार या मिली जुली सरकारों ने न तो पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक विकास के लिए ठोस प्रयास किये और न ही उनके सामरिक महत्व की पहचान कर उसके लिए आवश्यक कदम ही उठाए। वस्तुत: नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पूर्वोत्तर की तरफ तेजी के साथ ध्यान दिया जा रहा है, यदि आज यह कहा जाए तो कुछ गलत न होगा। वर्तमान में पूर्वोत्तर को लेकर दिल्ली की सोच में स्पष्ट परिवर्तन दिखाई दे रहा है। सबसे अच्छी बात यह है कि वहां उग्रवाद में बहुत अधिक कमी देखने को मिल रही है और युवा वर्ग का विकास योजनाओं तथा शिक्षा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हुए सहज ही देखा जा रहा है।

पूर्वोत्तर में उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं में 89 प्रतिशत की कमीः गृह मंत्रालय के आंकड़े बता रहे हैं कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण पूर्वोत्तर में उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं में 89 प्रतिशत की कमी आई है। सुरक्षा बलों पर हमलों में 90 प्रतिशत तथा आम नागरिकों की मौत के मामलों में 89 प्रतिशत की कमी आना निश्चित ही इस बात की गवाही है कि पूर्वोत्तर भारत के अन्य क्षेत्र की तरह की विकसित भारत बनाने के लिए बराबर से कदमताल करने को तैयार है। यहां उग्रवादी समूहों से जुड़े करीब 8,000 युवाओं ने आत्मसमर्पण कर दिया है और अपने परिवार तथा खुद के लिए बेहतर भविष्य का स्वागत करते हुए मुख्यधारा में शामिल हो गये हैं।

उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकसः मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 14,009 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उच्च शिक्षा के लिए, 191 नए संस्थान स्थापित किए गए हैं। उच्च शिक्षा के केंद्रीय संस्थानों की स्थापना में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप, उच्च शिक्षा में कुल छात्र नामांकन में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य की दृष्टि से अकेले कैंसर योजना के तृतीयक स्तर की देखभाल के सुदृढ़ीकरण के तहत 19 राज्य कैंसर संस्थान और 20 तृतीयक स्तर की देखभाल कैंसर केंद्र स्वीकृत किए गए हैं। इससे कैंसर मरीजों को इलाज के लिए पूर्वोत्तर में ही सारी सहूलियत उपलब्ध होगी।

कई हजार करोड़ की विकास योजनाएंः आज आप भारत सरकार की 100 लाख करोड़ रुपये की ”गति शक्ति योजना” में पूर्वोत्तर राज्यों की प्रमुख हिस्सेदारी सीधे तौर पर देख सकते हैं। मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गति शक्ति-राष्ट्रीय मास्टर प्लान का भरपूर लाभ पूर्वोत्तर भारत को मिल रहा है। यहां के विकास के लिए 12,882 करोड़ रुपये विभिन्न मंत्रालयों की परियोजनाओं में खर्च किए जा रहे हैं। जिसमें कि पूर्वोत्तर राज्यों में रेलवे, हवाई कनेक्टिविटी, सड़क निर्माण, कृषि और टूरिज्म की 202 से अधिक परियोजनाओं पर काम चल रहा है। बेहतर कनेक्टिविटी के लिए यहां 17 एयरपोर्ट बनाए जा चुके हैं।

पूर्वोत्तर के लिए ”प्रधानमंत्री की विकास पहल” के नाम से एक नई योजना भी शुरू की गई है। इसके लिये एक हजार पांच सौ करोड़ रुपये आवंटित किए गए। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग की शेष अवधि (साल 2022-23 से 2025-26 तक ) के लिए कुल 12,882.2 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (डोनियर) की योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दी है। पर्यटन के विकास पर मोदी सरकार का पूरा फोकस है। इसलिए रेलवे कनेक्टिविटी में सुधार के लिए अब तक 51,019 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

77,930 करोड़ रुपये की 19 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी है। सड़क संपर्क में सुधार के लिए, 1.05 लाख करोड़ रुपये की 375 परियोजनाएं का काम चल रहा है। सरकार अगले तीन साल में 209 परियोजनाओं में 9,476 किलोमीटर सड़कों का निर्माण करेगी। इसके लिए सरकार 1,06,004 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। साथ ही देश में 9,265 करोड़ रुपये की नॉर्थ ईस्ट गैस ग्रिड (एनईजीजी) परियोजना पर काम चल रहा है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए बिजली के बुनियादी ढांचे को मजबूती देने 37,092 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं, जिनमें से 10,003 करोड़ रुपये खर्च भी किए जा चुके हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में 18 राष्ट्रीय जलमार्ग आरंभ किए हैं। हाल ही में राष्ट्रीय जलमार्ग 2 और राष्ट्रीय जलमार्ग 16 के विकास के लिए 6000 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए।

इन उग्रवादी संगठनों के साथ शांति समझौतों पर हस्ताक्षरः आज के ताजा हालातों को लेकर यह कहा जा सकता है कि पूर्वोत्तर को पहले अशांति, बम हमलों, बंद आदि के लिए जाना जाता था, लेकिन पिछले आठ साल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यहां शांति स्थापित हुई है। यहां उग्रवादी संगठनों के साथ शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये जिनमें 2019 में नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के साथ एनएलएफटी-त्रिपुरा समझौता, 2020 में ब्रू-रियांग और बोडोस से जुड़े समूहों के साथ और 2021 में कार्बी आंगलोंग समुदाय से जुड़े समूहों के साथ समझौते किये गये। इसी प्रकार से समझौते 2022 में असम-मेघालय अंतर-राज्यीय सीमा के संबंध में हुए हैं। व्यापक हित में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफ्सपा) को वापस ले लिया गया और केंद्र सरकार द्वारा सामान्य स्थिति वापस लाई गई है।

प्रधानमंत्री के रूप में मोदी ने की सबसे अधिक पूर्वोत्तर राज्यों की यात्राः तथ्यों को देखें तो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनने के बाद, अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचे, रोजगार, उद्योग और संस्कृति सहित विकास के विभिन्न आयामों में पूर्वोत्तर भारत तेजी के साथ गतिशील है। अपने कार्यकाल के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी 50 से भी ज्यादा बार इस क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं। उनकी ‘एक्ट ईस्ट’ विदेश नीति का लाभ पूर्वोत्तर के राज्यों को ही मिल रहा है। भारत-म्यांमार-थाईलैंड सुपर हाइवे इसी का नतीजा है। साथ ही, पूर्वोत्तर के लिए अलग टाइम जोन की मांग पर भी अब विचार किया जा रहा है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि मोदी सरकार ने जो कुछ पूर्वोत्तर के लिए कर दिया, वैसा चमत्कारिक कार्य अब तक कोई भी केंद्रीय सरकार करके नहीं दिखा सकी है।

 

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