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‘अनपढ़’ पीएम की राजनीति

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

अद्र्धराज्य दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) इन दिनों प्रचार कर रहे हैं कि देश के प्रधानमंत्री मोदी ‘अनपढ़’ हैं या ‘कम पढ़े-लिखे’ हैं। यह निराशाजनक, खोखला और अनैतिक दुष्प्रचार है। किसी भी व्यक्ति या प्रधानमंत्री की शैक्षिक डिग्री ‘सूचना के अधिकार’ के बाहर है। वह एक निजी उपलब्धि और दस्तावेज है। यदि वह सार्वजनिक नहीं है, तो कानूनन उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। कमोबेश केजरीवाल को भी इतनी जानकारी होगी, क्योंकि उन्होंने ‘सूचना का अधिकार’ से ही अपनी राजनीति शुरू की थी और ‘मैगसेसे अवार्ड’ हासिल किया था। गुजरात उच्च न्यायालय ने इस संदर्भ में फैसला देते हुए केंद्रीय सूचना आयोग के उस निर्देश को खारिज किया है, जिसमें आयोग ने प्रधानमंत्री की शैक्षिक डिग्री का खुलासा करने के निर्देश गुजरात विश्वविद्यालय को दिए थे। केजरीवाल ने ‘सूचना के अधिकार’ के तहत आवेदन किया था। अदालत ने केजरीवाल पर 25,000 रुपए का जुर्माना भी ठोंका है। लोकतांत्रिक राजनीति के मायने ये नहीं हैं कि निर्वाचित नेता और प्रधानमंत्री उच्च शिक्षा प्राप्त हों या किसी विषय के विशेषज्ञ हों अथवा कुलीन और अभिजात्य जमात के हों।

एक बेहद आम और गरीब आदमी प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच सकता है। दरअसल केजरीवाल और ‘आप’ के प्रवक्ता-नेता इसे भी राजनीतिक प्रचार बना रहे हैं कि प्रधानमंत्री अनपढ़ या अल्पशिक्षित हैं, लिहाजा काम करने और नीतियां बनाने में अक्षम हैं। उन्हें अर्थव्यवस्था की माकूल समझ नहीं है, लिहाजा देश पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है, जो कभी आर्थिक संकट में तबदील हो सकता है। उच्च न्यायालय ने भी माना है कि देश में शिक्षा पर काम अभी चल रहा है। एक तरफ शैक्षिक पहुंच और अवसरों की असमानता है। दूसरी ओर, जाति, जमात और लिंग की असमानताएं हैं। हालांकि देश में 6-14 आयु-वर्ग के बच्चों के लिए अनिवार्य और नि:शुल्क शिक्षा का अधिकार एक कानून है, लेकिन उसकी भी विसंगतियां हैं, लिहाजा शिक्षा में हम अपेक्षित लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए हैं। लोकतंत्र ‘लोगों के द्वारा’ और ‘लोगों के लिए’ की एक व्यवस्था है। प्रधानमंत्री की शैक्षिक डिग्री की तुलना केजरीवाल की आईआईटी की डिग्री या आईआरएस से नहीं की जा सकती। कुलीन और उच्चतम शिक्षा वाले प्रधानमंत्री के तहत और उनके आदेशानुसार काम करते हैं, क्योंकि लोकतांत्रिक जनादेश अंतिम निष्कर्ष है।

केजरीवाल ने उच्च शिक्षित होने के बावजूद अपनी राजनीति का जो मकसद घोषित किया था, आज वह और उनकी पार्टी उससे बिल्कुल भटके हुए हैं। केजरीवाल सरकार में दो वरिष्ठ मंत्री, बल्कि एक तो उपमुख्यमंत्री थे, आज तिहाड़ जेल में हैं। कोई तो कानूनी साक्ष्य होंगे, जिनके आधार पर अदालत ने उन्हें जेल में रखा है। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन तो करीब 11 माह से जेल में हैं। उन पर मनी लांड्रिंग के बेहद गंभीर आरोप हैं, लिहाजा अदालत बार-बार जमानत की याचिका खारिज कर रही है। केजरीवाल ने देश के प्रधानमंत्री पर ‘गंदा कीचड़’ उछाला है। यदि प्रधानमंत्री मोदी ‘अल्पशिक्षित’ हैं, क्योंकि ‘अनपढ़’ की बात करना बकवास है, तो क्या उन्हें प्राप्त जनादेश खारिज किया जा सकता है? जनादेश उनकी पार्टी भाजपा के 303 सांसदों के पक्ष में है, बहुमत से अधिक बहुमत है, उन सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी को अपना नेता चुना है। केजरीवाल उसमें हस्तक्षेप कैसे कर सकते हैं? यदि इस मुद्दे को लेकर वह 2024 के आम चुनाव में उतरना चाहते हैं, तो स्वागत है। यदि केजरीवाल मानते हैं कि प्रधानमंत्री ‘अनपढ़’ हैं और देश पर शासन चलाने में अक्षम हैं, तो यह अपमानजनक और निचले दर्जे का बयान है। कोई न कोई भाजपा नेता या सांसद अदालत में इसे चुनौती दे सकता है। शैक्षिक डिग्री को लेकर गुजरात उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है, लिहाजा परोक्ष रूप से यह अवमानना का मामला भी बन सकता है। बहरहाल केजरीवाल काल्पनिक राजनीति कर रहे हैं।

 

 

 

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