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अब मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बढ़ी नौकरियां

-डा. जयंतीलाल भंडारी-

-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-

यकीनन देश के बढ़ते हुए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार के मौके भी तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे रहे है। पिछले माह मई 2023 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 58.7 पर पहुंच गया। पिछले 31 महीनों में पीएमआई का यह सबसे ऊंचा स्तर है। यह स्पष्ट रेखांकित हो रहा है कि उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है। हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना-2.0 को स्वीकृति देते हुए इसके लिए 17000 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया है। इस पीएलआई योजना से चीन से अन्यत्र जा रही विश्व की दिग्गज आईटी हार्डवेयर कंपनियों के भारत आने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। साथ ही भारत से आईटी हार्डवेयर का निर्यात भी तेजी से बढऩे का परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। गौरतलब है कि सरकार ने आईटी हार्डवेयर की इस नई पीएलआई योजना के पिछले स्वरूप के लिए 7325 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। इस योजना का उद्देश्य देश में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण को बढ़ावा देते हुए लैपटॉप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर और आधुनिक कंप्यूटिंग उपकरणों के उत्पादन को प्रोत्साहित करना है। इस पीएलआई योजना में किए गए नए बदलावों और प्रोत्साहनों से सरकार को उम्मीद है कि तय अवधि में आईटी हार्डवेयर क्षेत्र में 2430 करोड़ रुपये के निवेश आने के साथ-साथ 75000 प्रत्यक्ष रोजगार सृजित करने और उत्पादन मूल्य 3.55 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का परिदृश्य दिखाई दे सकेगा।

ज्ञातव्य है कि देश में वर्ष 2020 से शुरू हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान में मैन्युफैक्चरिंग के तहत उद्योगों को प्राथमिकता के साथ तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। देश को इस सेक्टर में तेजी से आगे बढ़ाने और चीन से आयात किए जाने वाले दवाई, रसायन और अन्य कच्चे माल का विकल्प तैयार करने के लिए पिछले तीन वर्ष में सरकार ने प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत 14 उद्योगों को करीब 1.97 लाख करोड़ रुपए आवंटन के साथ प्रोत्साहन सुनिश्चित किए हैं। पीएलआई योजना के तहत पांच वर्षों में 60 लाख नौकरियों के अवसर सृजित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। उल्लेखनीय है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में करीब 17 फीसदी योगदान देने वाला मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर करीब 2.73 करोड़ से अधिक श्रमबल के साथ अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन विनिर्माता है और तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट है। भारत का फार्मा उद्योग उत्पादित मात्रा के आधार पर दुनिया में तीसरे क्रम पर है। साथ ही भारत दुनिया में सबसे अधिक मांग वाला तीसरा बड़ा विनिर्माण गंतव्य है। इलेक्ट्रानिक्स और रक्षा क्षेत्र में लगातार आयात पर निर्भर रहने वाला भारत अब बड़े पैमाने पर इनका निर्यात करने लगा है। देश में ऑटोमोबाइल, फार्मा, केमिकल, फूड प्रोसेसिंग और टेक्सटाइल सेक्टर जैसे मैन्युफैक्चरिंग के विभिन्न सेक्टरों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह तेजी से बढ़ रहा है। भारत का वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में 447 अरब डॉलर के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। देश से बढ़ते हुए मैन्युफैक्चरिंग निर्यात मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को गतिशील कर रहा है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए सरकार रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रही है।

भारत को एक वैश्विक डिज़ाइन और विनिर्माण केंद्र में बदलने के लिए मेक इन इंडिया 2.0, मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए तकनीकी समाधान को बढ़ावा देने के लिए उद्योग 4.0, स्टार्टअप संस्कृति को उत्प्रेरित करने के लिए स्टार्टअप इंडिया, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी अवसंरचना परियोजना के लिए पीएम गति शक्ति और उद्योगों को डिजिटल तकनीकी शक्ति प्रदान करने के लिए डिजिटल इंडिया जैसी सफल पहलों के कारण भारत चतुर्थ औद्योगिक क्रांति की दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारतीय कंपनियां शोध व नवाचार में आगे बढ़ रही हैं। ऑटोमेशन और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों पर भी उद्योग की ओर से अपेक्षित ध्यान दिया जा रहा है। सरकार को उम्मीद है कि ऐसे विभिन्न कार्यक्रमों और नीतियों के कारगर कार्यान्वयन से वर्ष 2025 तक जीडीपी का 25 फीसदी योगदान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से आएगा। उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात की 100वीं कड़ी में कहा कि देश में स्थानीय अर्थव्यवस्था का समर्थन करने और वोकल फॉर लोकल मुहिम के प्रसार ने स्थानीय उत्पादों की खरीदी को पहले की तुलना में अधिक समर्थन दिया है और इससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को भारी प्रोत्साहन मिला है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि चीन के खिलाफ नकारात्मक धारणा बनने से भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नया आधार मिल रहा है।

भारत सस्ती लागत और कार्य कौशल के मद्देनजर विनिर्माण में चीन को पीछे छोड़ते हुए दिखाई दे रहा है। 85 देशों के मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित विभिन्न कारकों का समग्र मूल्यांकन करने वाली विश्व प्रसिद्ध यूएस न्यूज एंड वल्र्ड रिपोर्ट-2022 के तहत सस्ते विनिर्माण के मद्देनजर भारत ने चीन और वियतनाम को पीछे छोड़ते हुए दुनिया भर में सबसे कम विनिर्माण लागत वाले देश का दर्जा हासिल कर लिया है। जैसे-जैसे सरकार के द्वारा चीन से आयात होने वाले घटिया स्तर के उत्पादों पर विभिन्न तरह से प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं, वैसे-वैसे देश में मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों का उत्पादन बढ़ रहा है। फुटवियर मेड फ्रॉम लेदर एंड अदर मटेरियल (क्वालिटी कंट्रोल) ऑर्डर 2022 के तहत देश में एक जुलाई से, क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर लागू होने के बाद देश में चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया और बंगलादेश से होने वाले घटिया जूते-चप्पलों के आयात में बड़ी कमी आएगी। चीन से सबसे अधिक फुटवियर का आयात होता है। पिछले वित्त वर्ष में 2022-23 में 85.85 करोड़ डॉलर मूल्य के फुटवियर का भारत में आयात किया गया है। अब फुटवियर का घरेलू मैफैक्चरिंग बढ़ेगा व रोजगार बढ़ेंगे। अब चीन से खाद्य संस्करण उत्पादों के आयात में भी अवश्य ही कमी आएगी।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक सरकार जिस तरह देश में ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात से संबंधित उद्योगों और खाद्य प्रसंस्कृत उत्पादों को प्रोत्साहन दे रही है, उससे फूड प्रोसेसिंग, मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की संभावनाएं भी आगे बढ़ी हैं। यद्यपि देश का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर आगे बढ़ रहा है, लेकिन देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए अभी मीलों चलना बाकी है। व्यापक नीतिगत सुधारों के तहत सभी उत्पादों के कारोबारों के लिए सिंगल विंडो मंजूरी, इन्फ्रास्ट्रक्चर और कुशल श्रमिकों की आवश्यकता की पूर्ति के साथ-साथ नई लॉजिस्टिक नीति 2022 और गति शक्ति योजना के कारगर कार्यान्वयन पर ध्यान देना होगा। भारत के द्वारा यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को मूर्तरूप दिए जाने के बाद अब यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजराइल के साथ एफटीए के लिए प्रगतिपूर्ण वार्ताएं तेजी से आगे बढ़ाना होगा। देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को चीन और विएतनाम जैसे देशों से प्रतिस्पर्धी बनाने के मद्देनजर केंद्र सरकार के द्वारा जहां नई श्रम संहिता को शीघ्रतापूर्वक लागू करना होगा, वहीं विभिन्न राज्यों के द्वारा फैक्टरीज अधिनियम 1948 में उपयुक्त संशोधन करने होंगे। हम उम्मीद करें कि सरकार विभिन्न पीएलआई योजनाओं के कारगर क्रियान्वयन के साथ-साथ नई विदेश व्यापार नीति के तहत वर्ष 2030 तक एक हजार अरब डॉलर के उत्पाद निर्यात का लक्ष्य पूरा करेगी।

 

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