
-राकेश अग्निहोत्री-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
मोदी सरकार में नंबर दो अमित शाह.. केंद्रीय गृहमंत्री जिनकी राज्यों की राजनीति में विशेष दिलचस्पी और धमक से इनकार नहीं किया जा सकता। इन दिनों मध्य प्रदेश पर पूरा फोकस बनाए हुए। भाजपा के लिए चुनौती कहे या फिर समस्या उससे सजग और सतर्क सही समय पर शाह अपने फैसलों से लगातार चौंका रहे। एक बार फिर वो अपने चुनावी रंग में रंगे नजर आए। मध्य प्रदेश जहां चुनावी चुनौतियों से इंकार नहीं किया जा सकता वहां पहले ही मोर्चा संभाल चुके शाह ने अपने माथे पर चिंता की सलवटे नहीं दिखाई देने दी। मौका भाजपा सरकार की उपलब्धियों की जनता को याद दिलाने के लिए बुलाई गई अघोषित प्रेस कॉन्फ्रेंस और प्रेजेंटेशन का। जहां उन्होंने शिवराज सरकार की उपलब्धियों पर अपनी मुहर लगाते हुए विस्तार से अपनी बात रखी। विरोधी कांग्रेस को संदेश दिया कि चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ना या फिर घपले घोटाले और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर।
बड़ा संदेश कई लंबित जांचों का हवाला देकर व्यक्तिगत कमलनाथ के लिए। संसद के अंदर या सड़क की सियासत और रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने वाली कमरा बंद बैठके अमित शाह कभी लक्ष्य से भटके नहीं इसका अहसास उन्होंने फिर कराया। संदेश कई जिसमे यह भी कि कोई उनके बारे में क्या सोचता इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जुनून हर चुनाव जीतने का इसलिए समय रहते हस्तक्षेप, दखलअंदाजी कहे या फिर भविष्य की भाजपा का एजेंडा सेट करना उनका मकसद बन चुका है। उन्हीं शाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के मुकाबले मध्य प्रदेश ने विशेष रुचि लेना बहुत पहले शुरू कर दी थी। नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार कर नया भारत बनाने के संकल्प को लेकर अब भाजपा के चाणक्य का चुनावी एजेंडा मध्य प्रदेश में भी काफी आगे बढ़ चुका। स्वभाव से सख्त लेकिन बिना लाग लपेट के सटीक बात कहने वाले अमित शाह का वही अंदाज भोपाल में एक बार फिर देखने को मिला। तेवर सख्त।
अंदाज अपनी बात कहने और पूछे गए सवाल के मुताबिक नरम गरम। पहले खुद एहसास कराया कि मीडिया की नाराजगी से वह काफी हद तक वाकिफ है। फिर प्रेस कांफ्रेंस के बाद मीडिया मित्रों से मिलने उनके बीच जा पहुंचे। किसी से हाथ मिलाया तो किसी को सारी सुरक्षा के बावजूद उसे नजदीक आने दिया। शायद संदेश दिया कि मीडिया से वह दूरी बिल्कुल नहीं चाहते। इसे वक्त का तकाजा कहे या फिर चुनावी माहौल का एडजस्टमेंट अमित शाह की टिप्पणी फिर भी तीखी ही देखने सुनने को ही मिली। माहौल चुनाव का तो परफेक्ट पॉलीटिशियन के तहत परसेप्शन बनाया। भाजपा दमदारी के साथ वह भी 2018 की गलतियों से सीख लेकर जीतने के लिए चुनाव मैदान में जा चुकी है। संदेश यह भी नेतृत्व कमजोरी से वाकिफ तो चुनौतियों से अनजान नहीं। बदलते राजनीतिक परिदृश्य में देश के साथ मध्य प्रदेश के चुनावी मिजाज की मानो पूरी थाह लेकर राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर चौंकाया। चौंकाया अपनी बात मुखरता के साथ रख कर ही नहीं। बल्कि सवालों की झड़ी के बीच हर सवाल का जवाब देकर। इस बार प्रेस मित्रों की बात को गंभीरता से सुना लेकिन कही खरी खरी अपने मन की ही। सवाल का स्पष्ट उत्तर तो कभी प्रति प्रश्न कर खुद को विवाद से बचाया। मध्य प्रदेश सरकार का रिपोर्ट कार्ड 20 साल का लेखा जोखा लेकिन पूरा फोकस शिवराज के 18 साल पर।
शिवराज के नेतृत्व की जमकर खुलकर तारीफ। डबल इंजन सरकार की मोदी शिवराज जोड़ी से मध्य प्रदेश के विकास को मिली एक नई दिशा पर कांग्रेस की घेराबंदी करने में नहीं चूके। अमित शाह ने वीडियो फिल्म के प्रजेंटशन से आगे अपनी बात कह कर साबित किया कि मध्य प्रदेश भाजपा सरकार को लेकर वह पूरी तरह अपडेट है। अगल बगल में बैठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के साथ गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी नहीं सोचा होगा कि 2 दशक का बिंदुवार लेखा जोखा उनके पास होगा। जब सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी बड़ी समस्या बनकर सामने तब इस चुनाव में एक बार फिर उनकी ताकत 20 साल साबित हो सकता है। अमित शाह ने पूरी प्रेस वार्ता और प्रेजेंटेशन के दौरान संभवत एक बार विष्णु दत्त से गुप्तगू की तो पूरे समय उनका ध्यान एजेंडा सेट करने पर नजर आया। केंद्रीय गृहमंत्री जिन्होंने मध्य प्रदेश की कमान थाम ली है कुछ बिंदु जरूर लिखकर लाए थे। जिस पर केंद्रित उन्होंने पूरा ब्यौरा बेबाकी से सामने रखा।सत्ता और संगठन पर मजबूत पकड़ रखते हुए अमित शाह ने कार्यकर्ताओं के साथ अब प्रदेश के मतदाताओं को भी साधना शुरू कर दिया है। यहां कुछ समय पहले तक जो कन्फ्यूजन। करंट की दरकार और क्लेयरिटी नहीं उससे भाजपा को अब अमित शाह द्वारा बाहर निकाल दिया गया है। एक ही दिन में दो बड़े अलग फोरम पर यानी भोपाल से सरकार की पीठ थपथपाई तो ग्वालियर में कार्यकर्ताओं को टिप्स देकर भरोसे में लिया। नेतृत्व को लेकर पार्टी पर फैसला छोड़ देने की बात कहकर पूरे पत्ते अभी जरूर नहीं खोले हैं।
लेकिन विरोधी कांग्रेस खासतौर से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी को निशाने पर लेकर उन्हें चुनौती दे दी ही। कांग्रेस सरकार के घपले घोटाले की लंबी सूची सामने रखकर विकास बनाम भ्रष्टाचार की पुरानी बहस को नई धार देने की कोशिश की।मध्य प्रदेश जहां विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। यहां 29 लोकसभा सीटों पर राष्ट्रीय नेतृत्व की पैनी नजर है।पार्टी नेतृत्व द्वारा पिछले एक माह में कोई न कोई संदेश भोपाल से लेकर दिल्ली तक कमरा बंद बैठकों से तो और दूसरी लाइन संगठन के फोरम से कार्यकर्ताओं के बीच से लगातार दिया जा रहा।अमित शाह इस बार भाजपा के 20 साल का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करने खासतौर से भोपाल पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने जमकर मुख्यमंत्री रहते शिवराज के नेतृत्व की तारीफ की।बाद में यहां प्रेस से संवाद कर सबको चौंका भी दिया…कह सकते विरोधी कांग्रेस के साथ भाजपा के अंदर भी चुनावी बिसात पर मोहरों की तैनाती हो या फिर शह मात की जोर आजमाइश का खेल अब रफ्तार पकड़ता नजर आने लगा। सत्ता संगठन में बदलाव की आशंका पर लगभग विराम लगाते हुए जो चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादवऔर सह प्रभारीअश्वनी वैष्णव के साथ प्रदेश के छत्रपों, दिग्गजों के एडजस्टमेंट में चुनाव से जुड़ी समितियों के गठन का काम पूरा कर चुके।
भाजपा की हारी हुई 39 सीट पर उम्मीदवारों का 3 महीने पहले ऐलान कर अमित शाह पहले ही चौंका चुके है। अब ग्वालियर में प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक से पहले भोपाल आकर भाजपा के 20 साल का रिपोर्ट कार्ड जारी करने के साथ अमित शाह ने मानो काफी हद तक 2023 विधानसभा चुनाव का एजेंडा सेट कर दिया। ग्वालियर से भगवत गीता तो कभी जामवंत हनुमान का प्रसंग सुनाते हुए निर्णायक कड़ी बताते हुए कार्यकर्ताओं में जोश भर उन्हें उनकी जिम्मेदारी का एहसास ही नहीं कराया। बल्कि भरोसा जताते हुए 150 सीटों से आगे की जीत सुनिश्चित करने की बात शाह ने कही। तो इधर भोपाल में शिवराज सरकार की उपलब्धियों को चुनाव की मजबूत कड़ी साबित करने की कोशिश की। जिसके भरोसे न सिर्फ सीट संख्या में इजाफा बल्कि वोट और सपोर्ट भी हासिल किया जा सकता है। भोपाल से प्रेस के मार्फत बात विकास की। प्रदेश और केंद्र सरकार की उपलब्धियां की मोदी और शाह की जोड़ी और डबल इंजन से मध्य प्रदेश के कायाकल्प ही नहीं और बेहतर भविष्य का भरोसा दिलाया। चुनाव के लिए एक बहस यह कह कर छेड़ी कि 53 साल में कांग्रेस और 20 साल में तीन मुख्यमंत्री देने वाली भाजपा ने शिवराज के नेतृत्व में किसने क्या किया।
शिवराज ने मध्यप्रदेश की दशा ही नहीं सुधारी बल्कि उसे एक नई दिशा दे बेमिसाल बनाया। दिग्विजय सिंह को बंटाधार और सोशल मीडिया के माध्यम से कमलनाथ को करप्शन नाथ बताते हुए सरकार का हिसाब किताब मांगा। चुनाव को भाजपा कितनी गंभीरता से ले रही यह अमित शाह की खरी खरी कहे दो टूक बात से स्पष्ट को जाता है। शाह ने स्वीकार किया। जहां चुनाव होते हैं वहां हम जरूर जाते। मध्य प्रदेश में चुनाव हम विकास के मुद्दे पर लड़ना चाहते हैं। जांच एजेंसियों का विपक्ष यदि रोना रोएगा। तो फिर अगस्ता बेस्टलैंड जैसे विवादित घोटाले के मामले की जांच में तेजी भी देखने को मिल सकती है। दिग्विजय सिंह के कथित दंगे करने के आरोप से जुड़े सवाल पर कहा इसमें कोई दम नहीं आने वाले समय में यह एहसास आपको हो जाएगा। शाह ने कहा 2018 के चुनाव में हार का एक कारण जातीय विद्वेष फैलाना रहा। जिससे सीख लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं। कांग्रेस को 53 साल का हिसाब मध्य प्रदेश की 9 करोड़ जनता को देना चाहिए। भाजपा को अपनी सरकार की 20 साल की उपलब्धियां पर भरोसा है।9 साल की डबल इंजन की सरकार के खाते में उपलब्धियों की भरमार जिसने मध्य प्रदेश के गरीबों का कल्याण कर प्रदेश को बीमारू राज्य से न सिर्फ बाहर निकाल बल्कि आने वाले समय में देश के सबसे अग्रणी राज्य में सबसे ऊपर लाया जाएगा। अमित शाह ने चुनौती देते हुए कहा कि 15 महीने की कमलनाथ सरकार ने जनता के साथ जो अन्याय किया उसका हिसाब तो कांग्रेस को देना ही होगा।