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लखनऊ में “गैंगस्टर आलोक मिश्रा” पर पुलिस का शिकंजा: क्या जल्द होगा ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ का शिकार?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी में अपराध का खेल खेलने वाले गैंगस्टर आलोक मिश्रा और उसके साथी रोहित निषाद के खिलाफ पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ये वही आलोक मिश्रा है जो खुद को माफिया किंग समझकर शहर में आतंक का पर्याय बना हुआ था। ठाकुरगंज निवासी आलोक और मदेयगंज निवासी उसके साथी रोहित ने न सिर्फ पत्रकारों पर हमला किया, बल्कि आम लोगों में भी डर और भय का माहौल बना रखा था। लेकिन, अब लखनऊ पुलिस ने इन अपराधियों के खेल को खत्म करने का मन बना लिया है।

पुलिस का ‘डुगडुगी एक्शन’ और नोटिस चस्पा

गैंगस्टर आलोक और उसके साथी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने ठाकुरगंज और मदेयगंज में उनके घरों पर डुगडुगी बजवाकर नोटिस चस्पा किया। फरमान साफ है: “हाजिर हो जाओ, वरना कुर्की का मजा चखने को तैयार रहो।” पुलिस ने चेतावनी दी है कि अगर ये भगोड़े अपराधी जल्द सामने नहीं आते, तो उनकी संपत्तियां कुर्क कर दी जाएंगी, और इनाम की घोषणा भी हो सकती है।

अपराधी आलोक मिश्रा: खुद को समझता था माफिया किंग

आलोक मिश्रा, जो खुद को शहर का माफिया समझता है, का असली चेहरा अब बेनकाब हो रहा है। चोरी, डकैती, सरेआम छेड़खानी और गिरोहबंदी जैसे अपराधों को अंजाम देने वाला ये शातिर अपराधी, संगठित अपराध का मास्टरमाइंड है। लेकिन अब, मुख्यमंत्री के नाक के नीचे चल रहे इन कारनामों पर पूर्ण विराम लगाने की तैयारी है।

पत्रकार पर हमला बना आखिरी गलती

पत्रकार पर हमले ने आलोक मिश्रा की गुनाहों की फेहरिस्त में एक और काला अध्याय जोड़ दिया। लेकिन, इस घटना ने पुलिस को और सतर्क बना दिया। लखनऊ कमिश्नर अमरेंद्र सिंह सेगर के निर्देशन में डीसीपी रवीना त्यागी, एडीसीपी मनीष सिंह और एसीपी नेहा त्रिपाठी के नेतृत्व में पुलिस टीम ने यह सुनिश्चित किया कि अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।

“ऑपरेशन लंगड़ा” की तैयारी?

सूत्रों की मानें तो अगर आलोक मिश्रा ने पुलिस के सामने समर्पण नहीं किया, तो उसे “ऑपरेशन लंगड़ा” का हिस्सा बनाया जा सकता है। इस ऑपरेशन के तहत अपराधियों की हेकड़ी निकालने का पुराना और कारगर तरीका अपनाया जाता है।

मुख्यमंत्री का आदेश: अपराधियों को नहीं मिलेगी जगह

लखनऊ पुलिस की इस कार्रवाई ने साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीरो-टॉलरेंस नीति का सख्ती से पालन हो रहा है। पुलिस की यह मुहिम न केवल पत्रकारों को न्याय दिलाने की ओर बढ़ रही है, बल्कि आम जनता में यह विश्वास भी जगा रही है कि अपराधियों का खात्मा निश्चित है।

क्या होगा अगला कदम?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आलोक मिश्रा और उसका साथी रोहित निषाद कब तक कानून से भाग पाते हैं। क्या वे खुद को पुलिस के हवाले करेंगे या “ऑपरेशन लंगड़ा” का शिकार बनेंगे? लखनऊ की जनता अब सांस रोककर इस नाटक के अगले अध्याय का इंतजार कर रही है।

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