GlobelNational

अदालत का साकेत गोखले को पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पुरी के खिलाफ ट्वीट हटाने का निर्देश

नई दिल्ली, 13 जुलाई (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कार्यकर्ता साकेत गोखले को पूर्व भारतीय राजनयिक लक्ष्मी एम. पुरी के खिलाफ कथित मानहानि वाले ट्वीटों को तत्काल हटाने का मंगलवार को निर्देश दिया। अदालत ने गोखले को मानहानि का मामला लंबित रहने के दौरान लक्ष्मी पुरी और उनके पति केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के खिलाफ निंदात्मक ट्वीट नहीं करने का भी निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि यदि गोखले इस आदेश के 24 घंटे के भीतर ट्वीट नहीं हटाते हैं तो इन ट्वीट को ट्विटर द्वारा हटाया जाए। अदालत ने संयुक्त राष्ट्र में सहायक महासचिव रह चुकीं पुरी से कहा कि वह कार्यवाही में ट्विटर को भी पक्षकार बनाएं।

गोखले ने 13 जून और 26 जून को किए ट्वीट में पुरी द्वारा स्विट्जरलैंड में कुछ संपत्ति की खरीद के बारे में लिखा था और इसमें उनके पति का जिक्र भी किया था।

अदालत ने यह अंतरिम आदेश लक्ष्मी पुरी द्वारा दायर किए गए मानहानि के वाद में दिया। इस वाद में पूर्व राजनयिक ने गोखले से पांच करोड़ रूपये की क्षतिपूर्ति की मांग की है तथा अदालत से इन ट्वीट को हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

लक्ष्मी पुरी ने याचिका में आरोप लगाया कि गोखले के ट्वीट झूठे और तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, अपने आप में मानहानिकारक हैं और उनके तथा उनके परिवार के खिलाफ निंदात्मक, अपमानजनक वक्तव्य या लांछन हैं।

अदालत ने आदेश देते हुए कहा, ‘‘प्रतिवादी (गोखले) को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिकाकर्ता (पुरी) के खिलाफ किए गए वे सभी ट्वीट अपने ट्विटर अकाउंट से तुरंत हटाएं जिनका वाद में जिक्र किया गया है। इसके साथ ही वे संबंधित ट्वीट भी हटाए जाएं जो याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रतिवादी द्वारा किए गए अनेक ट्वीट का हिस्सा हैं।’’

अदालत ने मुख्य वाद में गोखले को समन भी जारी किया और उन्हें चार हफ्ते के भीतर लिखित जवाब देने का निर्देश दिया। मामले को अगली सुनवाई के लिए दस सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

उच्च न्यायालय ने संयुक्त राष्ट्र की पूर्व सहायक महासचिव लक्ष्मी पुरी के खिलाफ तथ्यों की जांच करने या किसी सरकारी अधिकारी से संपर्क किए बिना अपमानजनक ट्वीट करने पर कार्यकर्ता साकेत गोखले से बृहस्पतिवार को सवाल जवाब किये थे।

इस मामले की सुनवाई के दौरान आठ जुलाई को अदालत ने टिप्पणी की थी कि सम्मान के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर स्वीकार किया गया है और गोखले से पूछा कि वह कैसे किसी व्यक्ति को बदनाम कर सकते हैं , खासतौर पर उनके द्वारा ट्वीट करके जो प्रथमदृष्टया असत्य है। गोखले फ्रीलांसर पत्रकार हैं।

अदालत ने कहा था, ‘‘यानी आपकी कानूनी समझ के मुताबिक कोई टॉम, डिक और हैरी किसी के बारे में कुछ भी इंटरनेट पर लिख देगा, चाहे उससे व्यक्ति की प्रतिष्ठा को ही हानि क्यों नहीं हो।’’

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker