
नई दिल्ली, 05 अप्रैल (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। संसद में लोकसभा की कार्यवाही चल रही है। पहले तो विपक्ष ने ईंधन के दामों में बढ़ोतरी का विरोध करते हुए खूब हंगामा किया। स्पीकर ने लोकसभा को 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। 12 बजे के बाद लोकसभा दोबारा शुरू हुई और बारी-बारी से सांसदों को अपना सवाल पूछने के लिए कहा गया। संसद के सदस्यों ने अपने-अपने इलाकों की समस्याएं गिनानी शुरू कर दीं। इसके बाद नंबर आया बदायूं से बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्या का। संघमित्रा मौर्य भाजपा से इस्तीफा देकर सपा जॉइन करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं।
लोकसभा में तब अजीब सा माहौल हो गया जब संघमित्रा मौर्य प्रश्नकाल के दौरान अपना सवाल ही भूल गईं। जिस वक्त तक वो सवाल पढ़ती रहीं लोकसभा स्पीकर की जिम्मेदारी निभा रहे राजेंद्र अग्रवाल उनको सुनते रहे। इसके बाद जब वो अपना सवाल पूरा कर गईं, तब पीठासीन अधिकारी ने उनको याद दिलाते हुए कहा कि आप शायद अपना सवाल बदल रही हैं। आपने तो हमें कुछ अशोक से संबंधित बताया था। क्या आपने अपने सवाल बदल दिया? ये सुनकर संघमित्रा मौर्य असहज वाली स्थिति में पड़ गईं और तुंरत एक कागज को उठाया और बदलकर दूसरा सवाल किया।
संघमित्रा मौर्य ने अपनी बारी में कहा, ‘सभापति महोदय जी मैं आपके माध्यम से जानना चाहती हूं कि अभी तक युवा कार्यक्रमों का जो आयोजन हुआ था उसमें पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों की भागीदारी कितनी थी। विशेषरूप से उत्तर प्रदेश में क्या था? इसके बाद उन्होंने कहा कहा कि इसमें कितनी संख्या महिलाओं की थी और इन कार्यक्रमों से क्या कोई लाभ मिला है…जब वो इतना बोल रहीं थीं कि अचानक सभापति ने उनको टोकते हुए बोला कि संघमित्रा जी विषय बदल दिया है आपने। इसमें तो सम्राट अशोक के बारे में लिखा हुआ है कुछ।
इसके बाद उन्होंने तुरंत अपना कागज बगल में रख दिया और फिर से अपना सही सवाल करने लगीं। दरअसल, संघमित्रा मौर्या का सवाल सम्राट अशोक से जुड़ा हुआ था। जो सवाल आप संसद में पूछते हो वो पहले ही सभापति के सामने पेश किया जाता है। सभापति उस सवाल को देखकर ही आगे संसद में सदस्य को अनुमति देता है कि वो सरकार से उस बारे में पूछ सकता है या फिर मांग कर सकता है। मौर्य ने कहा, ‘मैं आपके माध्यम से सरकार ने मांग करती हूं, मैंने पहले सत्र में भी मांग की थी कि सम्राट अशोक की जयंती के अवसर पर अवकाश की घोषणा की जाए, किंतु हमें पत्र के माध्यम से जानकारी दी गई कि एक सीमित राष्ट्रीय अवकाश ही घोषित किए जा सकते हैं। तो मैं आपके माध्यम से सरकार से ये मांग करती हूं अवकाश नहीं तो चैत्र मास की अष्टमी को, जिस दिन सम्राट अशोक का जन्म हुआ था। उस दिन को सम्राट अशोक जयंती के नाम पर घोषित किया जाए।