जनता को न्यायालय का सहारा, सरकार और शासन बने मूकदर्शक
देहरादून, विकासनगर: उत्तराखंड में जनता का हर छोटे-बड़े काम के लिए न्यायालय का रुख करना प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र पर बड़े सवाल खड़े कर रहा है। जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष और जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने एक पत्रकार वार्ता में प्रदेश के हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राजभवन, सरकार और शासन जनता के हितों की रक्षा करने में पूरी तरह विफल हो चुके हैं।
नेगी ने कहा, “प्रदेश में जिन कार्यों के लिए सुविधा शुल्क नहीं दिया जाता, वे विधि सम्मत और जनोपयोगी काम भी अधिकारियों द्वारा जानबूझकर अटकाए जाते हैं। फाइलें एक पटल से दूसरे पटल तक घूमती रहती हैं, जबकि माफिया और जालसाज अपने असंवैधानिक काम बिना रुकावट करवा लेते हैं। ऐसे माहौल में आम जनता के पास न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।”
नेगी ने राजभवन की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संस्था, जिस पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, वह सरकार और अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर नियंत्रण क्यों नहीं रख पा रही है। “राजभवन ने कभी सरकार के कामकाज की समीक्षा नहीं की। आखिर इतनी बड़ी प्रशासनिक मशीनरी का औचित्य क्या है, जब जनता को न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ता है?”
नेगी ने अधिकारियों की संवेदनशीलता पर सवाल उठाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार ने पूरे तंत्र को जकड़ लिया है। “जब नेता और मंत्री खुद भ्रष्ट हो चुके हैं, तो अधिकारी क्यों ईमानदारी से काम करेंगे? यही कारण है कि अदालतों में वादों का अंबार लगा हुआ है।”
जन संघर्ष मोर्चा ने जल्द ही राजभवन और शासन को जगाने के लिए आंदोलन की चेतावनी दी है। नेगी ने कहा, “हम राजभवन की आत्मा को झकझोरने के लिए यज्ञ और जन आंदोलन करेंगे, ताकि जनता को न्याय मिल सके और तंत्र में जवाबदेही लाई जा सके।”
पत्रकार वार्ता में विजय राम शर्मा और हाजी असद भी मौजूद थे।
यह स्थिति केवल जनता के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की विफलता और शासन की उदासीनता को भी उजागर करती है। जनता अब बदलाव की मांग कर रही है और जवाबदेही चाहती है।