जर्जर खंभा और सोता प्रशासन: क्या इंतज़ार है किसी हादसे का?
लखनऊ, 22 जनवरी 2025 – राजधानी के इरादतनगर में बिजली विभाग की “चेतना” का एक और शानदार नमूना देखने को मिला है। अहिबरनपुर विद्युत उपकेंद्र के अंतर्गत एक जर्जर सीमेंटेड बिजली का खंभा पूरी तरह झुक चुका है। क्षेत्र के लोग इसे किसी बड़ी दुर्घटना की चेतावनी के रूप में देख रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि बिजली विभाग इसे “कलाकृति” मानकर अनदेखा कर रहा है।
झुके हुए खंभे की शिकायत स्थानीय निवासियों ने जूनियर इंजीनियर से की थी। लेकिन समस्या के समाधान की बजाय, विभाग ने अपने “सुपरस्टार” लाइनमैन परवेज को भेजा, जो मौके पर पहुंचे, खंभे को देखा और सोचने लगे कि, “अब यह किसका काम है?” फिर शायद इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह काम तो प्रकृति ही संभालेगी। नतीजा? परवेज साहब खंभे को उसके हाल पर छोड़कर चले गए।
आज यह घटना तीन दिन पुरानी हो चुकी है। न खंभा सीधा हुआ और न प्रशासन की नींद टूटी। स्थानीय निवासियों का कहना है कि हर बीतता दिन एक संभावित हादसे की घड़ी की तरह लग रहा है। सवाल यह है कि क्या लेसा (लखनऊ इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एडमिनिस्ट्रेशन) किसी बड़ी घटना के बाद ही “नींद से जागेगा”?
जर्जर खंभे की ओर देखते हुए ऐसा लगता है मानो यह प्रशासन को चिढ़ा रहा हो, “आओ, मुझे संभालो या फिर खबर बनाओ।” और लेसा इस चुनौती को गंभीरता से लेता दिख नहीं रहा। इरादतनगर के निवासी अब यह अनुमान लगा रहे हैं कि इस खंभे का नाम जल्द ही “ट्रेंडिंग न्यूज़” में शुमार हो सकता है।
इरादतनगर के निवासी पूछते हैं, “क्या हमारी सुरक्षा की कोई कीमत नहीं है?” एक स्थानीय बुजुर्ग ने नाराजगी जताते हुए कहा, “खंभे की हालत देखकर लगता है कि यह किसी भी वक्त गिर सकता है। लेकिन शायद विभाग को किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार है।”
विभाग का रवैया अब तक यही दिखा रहा है कि वे “खंभा दर्शन” का एक नया कार्यक्रम शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करने के बाद “समस्या देखने” की पूरी फुर्सत है, लेकिन समाधान के लिए नहीं।
अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इस समस्या को टालता है। क्या यह खंभा सिर्फ एक चेतावनी बनकर खड़ा रहेगा, या फिर इसे संभालने के लिए बिजली विभाग की “महाशक्ति” जागेगी? सवाल यह भी है कि क्या खंभा गिरने के बाद विभाग “मुआवजा योजना” लेकर आएगा, या इससे पहले समस्या का समाधान होगा?